3rd दिसंबर 1971 को भारत के कई एयरफील्ड्स पर अटैक करके पाकिस्तानियों ने अपनी करतूत से हिंदुस्तानी फौजियों का खून खोल दिया था और अगले दिन 4th दिसंबर 1971 को जब भारत ने इस अटैक के जवाब में पाकिस्तान के ऊपर युद्ध डिक्लेअर किया तब पाकिस्तान ने वेस्ट साइड से भारत की सीमा से लगे लोंगेवाला पर सरप्राइज अटैक कर दिया उन्हें लगा था की भारत ने पूर्वी फ्रंट पर लड़ने में अपनी सारी शक्ति लगा दी है
वही दूसरी तरफ ये लोग वेस्टर्न फ्रंट से लोंगेवाला पर हमला करके रामगढ़ और जैसलमेर पर कब्जा जमा लेंगे पाकिस्तान का इरादा वेस्टर्न सेक्टर में राजस्थान के बड़े से बड़े इलाके को कब्ज करके ईस्ट पाकिस्तान में हुई नुकसान की भरणी था और युद्ध के बाद भारत के साथ नेगोशिएटिंग टेबल पर बारगेनिंग करना
लेकिन उन्हें कहां पता था की था कि मैदान में मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी अपनी पंजाब रेजीमेंट के साथ दुश्मनों को धूल चाटने को तैयार बैठे थे अपने बटालियन के 120 जवानों के साथ सर पर कफन बांधे पाकिस्तान के दो से 3000 फौजियों के सामने खड़े हुए और उन्हें ऐसा सबक सिखाया की दुश्मन ने फिर इधर पलट कर आने की हिम्मत नहीं दिखाई
1971 के दौरान 4th से 7th दिसंबर तक चले बैटल ऑफ लोंगेवाला की कहानी वीरता की ऐसी मिसल पेस करती है जिसे हमारा इतिहास हमेशा प्राउडली दोहराता रहेगा
कौन थे ये मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी और क्या थी बैटल ऑफ लोंगेवाला की असली कहानी कैसे मात्र 120 भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान के जो मोस्ट 2 से 3000 फौजियों को मार भगाया था
साल 1971 तक ईस्ट पाकिस्तान के अंदर चल रहे सिविल वार अपनी सारी लिमिट क्रॉस कर चुका था पाकिस्तान की भेदभाव की पॉलिसी से परेशान होकर ईस्ट पाकिस्तान के लोग एक अलग देश बनाने की मांग पर अड़ा था
तमाम कोशिशें के बाद भी पाकिस्तान के हालात सुधारने का नाम नहीं ले रहे थे पाकिस्तान को लगने लगा था की ईस्ट पाकिस्तान अब उसके हाथ से निकालने वाला है पाकिस्तान अपने लाखों बेकसूरों पर लाठियां बर्सा रही थी उनकी गोलियां से हजारों की संख्या में लोग प्रतिदिन मारे जा थे लाखों महिलाओं के साथ पाकिस्तान मिलिट्री और पारा मिलिट्री के द्वारा फोर्स रेप किया जा रहे थे हालात इतने खराब हो गए थे की एक करोड़ लोग पाकिस्तान छोड़कर भारत आ गए थे लेकिन हद तो तब हो गई जब ईस्ट पाकिस्तान के अंदर उठ रहे विद्रोह को दबाने में नाकाम पाकिस्तान ने इसकी जिम्मेदारी भारत पर तोक दी
पाकिस्तान हमेशा से अपने आप को होशियार और बहादुर समझना की भूल करता आया है और इसे भूल के करण चार-चार बार उसे मुंह की खानी है एक बार फिर पाकिस्तान ने अपने घर की कलश शांत करने के बजे थर्ड दिसंबर 1971 को ऑपरेशन चेंज खान के तहत भारत के 11 एयरफील्ड्स पर अटैक कर दिया था भारत को चुकी पाकिस्तान की हरकतों का अंदाज़ पहले से था और इसीलिए इंडियन आर्मी भी इस जंग के लिए तैयार थी जवाब मैं भारत को भी वार में एंट्री लेनी पड़े और दिसंबर को भारत ने पाकिस्तान पर वार डिक्लेअर कर दिया दोनों देश के बीच चल रहे इस वार का में रीजन ईस्ट पाकिस्तान था जो आज बांग्लादेश बन चुका है और इसी करण से वार का में सेंटर भी ईस्ट पाकिस्तान और उसके आसपास का एरिया था
लेकिन पाकिस्तान के प्रेसिडेंट यह खान ने भारत के वेस्टर्न एरिया में अटैक करने का प्लेन बनाया पाकिस्तान इंडिया के वेस्टर्न सेक्टर राजस्थान में इंटर करने के पीछे कई करण थे इसमें से एक था ईस्ट पाकिस्तान में कमजोर पाकिस्तान मिलिट्री यहां या खान पाकिस्तान के सिक्योरिटी डॉक्टर को फॉलो कर रहे थे जिसमें ये कहा गया था की डिफेंस ऑफ ईस्ट पाकिस्तान लाइव इन डी वेस्ट पाकिस्तान यह बात अच्छे से जानता था की पूर्वी फ्रंट पर इंटरनेशनल प्रेशर के चलते इंडो पाक वार ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा
इसके अलावा यह खान इस बात को भी अच्छे से जानते थे की इस्ट पाकिस्तान को पुरी तरह डिफेंड करना नामुमकिन है इसीलिए वो वेस्टर्न पाकिस्तान बॉर्डर्स की तरफ से ज्यादा से ज्यादा इंडियन टेरिटरी को कब्ज करना चाहते थे उन्हें लगा की ईस्ट पाकिस्तान में हुए नुकसान की भरणी के लिए वो इंडिया के वेस्टर्न सेक्टर में जीते हुए जमीन को लेकर भारत के साथ पोस्टमा में नेगोशिएशंस करेंगे जिससे भारत को झुकना पड़ेगा दूसरी बात पाकिस्तान यह भी सोच रहा था की भारत ने तो अपने सारे रिसोर्सेस ईस्ट पाकिस्तान की तरफ लगा रखें हैं ऐसे में अगर वह इंडिया के वेस्टर्न सेक्टर में एंट्री करेंगे तो भारत की मिलिट्री उसे मुल्क जाएगी और वार में कमजोर पड़ जाएगी इससे पाकिस्तान आसानी के साथ वार जीत जाएगा
राजस्थान में भारत और पाकिस्तान के बॉर्डर पर एक स्मॉल बॉर्डर टाउन है लोंगेवाला रेगिस्तान के इस पार्ट में यहां सिर्फ दूर-दूर तक चलती हुई गर्म हवाएं दिखाई पड़ती है रोज बनते रेट के तिलो के बीच इस सुनसान जगह पर लोगों का आना जाना बहुत काम रहते है लोंगेवाला चेक पोस्ट वैसे तो बीएसएफ के अंदर में ही रहते है लेकिन जब भी देश में कोई वार जैसे सिचुएशन क्रिएट होती है तो यहां पर आर्मी को तैनात कर दिया जाता है
ऐसे ही 1971 के वार में भी हुआ पाकिस्तान से वार की घंटी बजाते ही बीएसएफ के भैरव सिंह राठौर के कमांड में 627 बीएसएफ के जवानों के अलावा लोंगेवाला पोस्ट पर पंजाब रेजीमेंट के 23rd बटालियन अल्फा कंपनी को तैनात कर दिए गए थे 120 जवानों की इस बटालियन को मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी लीड कर रहे थे लोंगेवाला पोस्ट बॉर्डर की सिक्योरिटी परपज से बहुत इंपॉर्टेंट थी और इस इंपॉर्टेंट के पीछे का में रीजन था इसकी लोकेशन रामगढ़ और सादे वाला जान वाली सड़कों के में जंक्शन पर थी लोंगेवाला चेकपोस्ट और ये भी निश्चित था अगर एक बार लोंगेवाला पर पाकिस्तान मिलिट्री कब्जा कर लेती है तो पाकिस्तान जैसलमेर तक पहुंचने में कोई नहीं रॉक सकता था लेकिन इस पोस्ट के इंर्पोटेंस के बावजूद यहां पर दुश्मन के हमले की आशंका ना के बराबर थे
फोर्थ दिसंबर की रात को सेकंड लेफ्टिनेंट धर्मवीर सिंह अपने वीर सैनिकों की प्लाटून के साथ बॉर्डर की पेट्रोलिंग के लिए निकले सुनसान रात में सामने नजर तो कोई नहीं आ रहा था लेकिन एक अजीब सी आवाज लेफ्टिनेंट धर्मवीर और उनके सैनिकों के कानों में सुने पड़े ध्यान से सुनने पर लगता था मानो देर सारे व्हीकल इंडियन बॉर्डर की और बढ़ते चले जा रहे हैं
लेफ्टिनेंट धर्मवीर को समझते देर ना लगी की दुश्मन जंग की तैयारी में आगे बाढ़ चुका है आनन-फानन में धर्मवीर ने सीमा पर दुश्मन के कदमों की आहट की सूचना मेजर कुलदीप सिंह तक पहुंचाई मेजर कुलदीप सिंह भलि भांति जानते थे की यह चेकपोस्ट पाकिस्तान की भारी भरकम लड़ने के लिए काफी नहीं है उन्होंने तुरंत पाकिस्तान सैनिकों के आने की सूचना आर्मी हैडक्वाटर को दी मेजर चांदपुरे की बटालियन के पास लिमिटेड वेपंस थे उनकी टीम के पास दो मीडियम मशीन गण दो 81 मोटर और 4 शोल्डर फायर एंटी टैंक रॉकेट लांचर थे इसके अलावा पुरी टीम में कुछ लोग ऐसे भी थे जो बारूदी सुरंगे बढ़ा सके और दूसरी तरफ पाकिस्तान के पास लगभग 3000 जवानों वाली एक ब्रिगेड थी
बटालियन से भरी हुई पाकिस्तान की मिलिट्री पुरी तरह से भारत के वेस्टर्न सेक्टर को डिस्ट्रॉय करने के लिए निकली थी उनके पास टी-59 उन शोरमण टैंक्स की एक पुरी रेजीमेंट थी जवानों को एक जगह से दूसरी जगह आने जान के लिए मैकेनाइज्ड व्हीकल दो जर्मन शेफर्ड डॉग्स भी दिए गए थे जो लैंड माइंस को खोजना का काम करते थे पाकिस्तान को इनफॉरमेशन मिली थी की इस पोस्ट पर 10 से 12 बीएसएफ के सैनिक हो सकते हैं
आर्मी हैडक्वाटर लोंगेवाला चेक पोस्ट तक तत्काल मदद पहचाने में समर्थ था कोर से भरी हुए भयानक रात है जिसमें और फोर्स की फाइटर जेट भी रात में उड़ान भरने में सक्षम नहीं थे सुबह होने में काम से काम 7 घंटे का समय था वहां से मेजर कुलदीप सिंह के लिए आदेश आया की वह लोंगेवाला पोस्ट को किसी भी तरह से हाथ से जान ना दे और तब तक उसे डिफेंड करें
मेजर चांदपुरी ने पीछे हटे से बेहतर जंग के मैदान में करने को चुनाव 3000 पाकिस्तान सैनिकों के खिलाफ सामने सिर्फ 120 भारतीय जवानों की टोली ने कल का मंजर तैयार करने की थान ली 120 से भाइयों में एक सिपाही भी पीछे हटने को तैयार नहीं हुआ मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी भी ये जानते थे की पोस्ट से पीछे हटने का मतलब पाकिस्तान सैना को जैसलमेर के लिए सीधा रास्ता देना था इसके लिए वो किसी भी कीमत पर तैयार नहीं थे
एक बार टाइम्स ऑफ इंडिया के इंटरव्यू में उन्होंने कहा था की मैंने अपने 120 जवानों को इकट्ठा करके कहा की सिखों ने बहुत बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दी है उन्हें गुरु गोविंद सिंह जी की कहानी बताएं और साथ में यह भी कहा की जो भी यहां से जाना चाहता है वह अभी जा सकता है वो वही डेट रहेंगे लेकिन उनके इस मोटिवेशनल स्पीच के बाद एक भी जवान पीछे नहीं हटा और रात भर इसी तरह से इस बटालियन को लीड किया
उसे भारत का इतिहास कभी नहीं भूल पाएगा पाकिस्तान के 3000 सैनिक टी-59 टैंक्स सोमन टैंक्स और हथियारों के साथ आगे बढ़ते हुए चले ए रहे थे पाकिस्तान की सेना के अंदर इतना कॉन्फिडेंस था की उन्होंने तय कर लिया था की उन्हें लोंगेवाला में ब्रेकफास्ट रामगढ़ में लंच और जैसलमेर में डिनर करना है लोंगेवाला बॉर्डर्स पर कोई लैंडमाइन और इलेक्ट्रॉनिक वायर नहीं थी वहां बीएसएफ के जवानों ने सिर्फ एक सिंगल वायर को लगा रखा था जिससे की उनके ऊंट दूसरी तरफ ना जाए लेकिन इसी कम वायर की वजह से पाकिस्तान आर्मी को लगा की इस पोस्ट के आसपास लैंडमाइन लगा हुआ है जिससे की वो हमारी स्ट्रैटेजिस दी कोड नहीं कर पाए
पाकिस्तान सेना को लोंगेवाला पोस्ट के करीब आता देख कर सेना के पास प्रीपेड मन फूल बचाने का समय नहीं बच्चा था इसलिए कंपनी ने जल्दबाजी में अपने पोस्ट के इर्द-गिर्द एंटी टैंक लैंडलाइन बिछाना शुरू किया वही दूसरी तरफ 106 मिलीमीटर m40 करने में हमारे एक और जवान शाहिद हो गए लेकिन तब भी हमारे जवानों का हौसला काम नहीं हुआ
पाकिस्तान सेना ने लौंगवाला पोस्ट के नजदीक आते ही रात के 12:30 बजे अपने टारगेट को आसन करने के लिए मीडियम रेंज आर्टिलरी गन से हमला शुरू कर दिया इस हमले से बीएसएफ के पांच ऊंट तुरंत खत्म हो गए पाकिस्तान आर्मी को प्लेन के अकॉर्डिंग 26 इन्फेंट्री ब्रिगेड को लोंगेवाला पे कब्ज करना था और अगर वो इस काम में आनसक्सेसफुल होते तो उन्हें बाकी के इन्फेंट्री ब्रिगेड के आने का इंतजार करना था और अपना काम खत्म करना था
22 केवेलिज और 38 बलोच को लोंगेवाला से सीधे निकलते हुए रामगढ़ की तरफ बढ़ाना था बाकी के 51 इन्फेंट्री ब्रिगेड को उनका पीछा करना था बॉर्डर क्रॉस करने के बाद 38 केबल्रीस के अधिकांश टैंक्स या तो खराब हो गए या रेद में फैंस गए
पाकिस्तान वॉर स्ट्रैटेजिस की प्लानिंग यहां फेल हो गई थी क्योंकि उन्हें इस बात का एहसास नहीं था की शोर मां और टी59 चाइनीस टैंक्स नरम रेट पर बहुत ही धीमी से चलेंगे यह टैंक्स इस तरह के स्विफ्ट ऑपरेशन को पूरा करने के लिए नहीं थे ऐसी कंडीशन में लोंगेवाला से रामगढ़ की पक्की सड़क तक केवल दो टैंक्स ही पहुंचे 38 केवल प्रोग्रेस को देखकर 18 इन्फेंट्री डिवीजन के कमांडिंग ऑफिसर ने आगे की टुकड़ों का दौरा किया और 22 केवलारी और 38 बलोच को आगे बढ़कर लोंगेवाला को कब्ज करने का आदेश दिया
इसी बीच रात के 2:30 बजे तक इंडियन आर्मी के दो 106 मिनी की आईसीएल गंस के साथ लोंगेवाला पोस्ट पर पहुंच चुकी थी पाकिस्तान की और से 22 केवलारी और 38 बलोच लोंगेवाला को कब्ज करने के लिए बढ़ते चले ए रहे थे और सुबह के 4:00 बजाने तक लोंगेवाला पोस्ट को पाकिस्तान सेना ने पुरी तरह से घर लिया था
यह भारतीय सैनिकों के लिए परीक्षा की घड़ी थी दुश्मन ने हमला शुरू कर दिया था और धीरे-धीरे पोस्ट पर कब्ज करने के लिए आगे बढ़ रहे थे भारतीय सेना ने अपनी गोलीबारी तब तक रॉक राखी जब तक की पाकिस्तान टैंक्स उनके सामने 30 से 15 मीटर तक नहीं पहुंच गए पाकिस्तान टैंक्स जैसे ही लोंगेवाला पोस्ट के करीब पहुंचे वैसे ही जब माउंटेड 106 मिनी आईसीएल गण से इंडियन सोल्जर ने दुश्मन पर फायरिंग शुरू कर दी देखते ही देखते पाकिस्तान के दो टैंक्स डिस्ट्रॉय हो गए थे एलिवेटेड पोजीशंस पर होने की वजह से इंडियन आर्मी को आईसीएल गण से फायरिंग बहुत इफेक्टिव साबित हुई इससे पाकिस्तान टैंक्स का थिनर टॉप आर्मी पर आसानी से निशाना लगाया जाता था
जिसकी वजह से टैंक्स को डिस्ट्रॉय होते देर ना लगती पाकिस्तान टैंक्स के पीछे एक एक्स्ट्रा फ्यूल टैंक लगे हुए थे आईसीएल गेस की फायरिंग से इन में विस्फोट होना शुरू हो गया जिससे चारों और लाइट ही लाइट दिखे रही थी और भारतीय सैनिकों को दुश्मन साफ दिखाई दे रहा था दुश्मन के टेंक लोंगेवाला पोस्ट के पास बालू पर बहुत धीरे से चल रहे थे जिससे भारतीय सैनिकों को उन पर अटैक करने में और आसानी हो रही थी हमले की शुरुआत में लेंगेवाला पोस्ट को डिफरेंट करने में भारतीय सैनिकों को जरूर थोड़ी सफलता मिली लेकिन इसके बावजूद सैनिकों की संख्या में बहुत अंतर था उन्हें पता था की यदि दुश्मन की सेना लोंगेवाला पोस्ट तक पहुंच गई तो पोस्ट को डिफेंट करना इंपॉसिबल हो जाएगा इन सबके बीच 22 केवलारी और 38 बालोत धीरे-धीरे लोंगेवाला पोस्ट पर हमला करने के लिए बाढ़ रही थी लेकिन लोंगेवाला पोस्ट के काफी करीब पहुंचकर वह रुक गए
दरअसल हुआ ये की पाकिस्तान अटैक को लीड करने वाले इन्फेंट्री ब्रिगेड को पोस्ट के आसपास बाब्ड वायर दिखाई दे ये वही बाब्ड वायर था जिसको बीएसएफ ने अपने ऊंट के लिए लगाया था लेकिन दुश्मन इस बात से बिल्कुल अनजान था पाकिस्तान सैनिकों को लगा की यहां पर एंटी टैंक लाइन बिछी गई है इससे बचाने के लिए पाकिस्तान सेना की और सिपर्स ले गए थे जिससे मन फील्स को हटाए जा सके
वही दूसरी और भारतीय सैनिक लगातार और सटीक गोलीबारी कर रहे थे जिससे पाकिस्तान सेना के लिए आगे बढ़ाना मुश्किल हो रहा था इसके साथ ही लौंगवाला पोस्ट के आसपास लैंडमाइंस होने की संभावना के कारण पाकिस्तान सेना अटैक को रॉक कर पूरे दो घंटे तक मन फील्ड्स को ढूंढने में उलझी रही जिसकी वजह से लोंगेवाला पोस्ट को डिफेंड करने में इंडियन आर्मी को काफी मदद मिल गई और इंडियन एयरफोर्स को अपनी तैयारी करने का समय मिल गया अब जब फ्री होकर पाकिस्तान सी लोंगेवाला पोस्ट पर हमला करने के लिए तैयार थी
तब तक सुबह हो चुकी थी और अब लोंगेवाला पोस्ट पर इंडियन आर्मी का रिइंफोर्समेंट्स भी पहुंचने वाला था पाकिस्तान सैनिक और आगे बढ़ जब वे 15 से 20 मीटर की रेंज तक आ गए तब भारतीय सैनिकों ने उन पर हमला करना शुरू कर दिया अचानक भारतीय सैनिकों का तेज हमला देखकर पाकिस्तान सी कुछ देर के लिए शक गई
वे समझ ही नहीं पाया की अचानक कैसे हो गया पाकिस्तान सैनिकों पर गोलीबारी कर रहे थे सूरज निकालने के साथ ही सुबह के 7:30 इंडियन एयरफोर्स के हंटर्स फाइटर जेट लोंगेवाला पोस्ट के ऊपर पहुंच चुकी थी देखते ही देखते हंटर्स पाकिस्तान टैंक्स के ऊपर आसमान से रॉकेट की बरसात करने लगे कुछ ही देर में पाकिस्तान की पांच टेंक्स पुरी तरह बर्बाद हो चुके थे कई पाकिस्तान सैनिक मारे जा चुके थे इंडियन एयरफोर्स का हमला इतनी तेज था की पाकिस्तान सैनिकों को जहां मौका मिल रहा था जान बचाकर भाग रहे थे
पाकिस्तान की पुरी मिलिट्री तीतर भीतर हो चुकी थी इसके बाद इंडियन एयरफोर्स के हंटर्स हमला करके वापस लोट गए लेकिन हंटर्स के जान के थोड़ी देर बाद ही पाकिस्तान सैनिक फिर से लौंगवाला पोस्ट पर हमला करने के लिए तैयार होने लगे उन्हें लगा की अब इंडियन एयरफोर्स के पास रॉकेट की कमी हो गई जिससे अब ये वापस नहीं आएंगे अटैक शुरू ही हुआ था की आसमान में फिर से हंटर्स मंडराने लगे ये बैटलफील्ड में दूसरी इंडियन और स्ट्राइक थी इस बार दुश्मन के छह टेंकों को पुरी तरह से डिस्ट्रॉय कर दिया और उनकी इन्फेंट्री ब्रिगेड पर भी अटैक किया कुछ ही देर में हंटर्स अपने साथ जितने रॉकेट लेकर आय थे बरसाकर वापस लोट रहे थे इंडियन एयरफोर्स के विमान फ्यूल और रॉकेट भरने के लिए जैसलमेर तक जाते लेकिन
पाकिस्तान सेना समझना लगती की अब ये वापस नहीं आएंगे सुबह के 8:00 बजे तक इंडियन आर्मी के 12 इंफिनिटी डिवीजन ऑफ सदन कमान के 20th लांसर के एक क्वाड्रन अपने मैक्स 13 टैंक्स और कुछ रूस टी-54 टैंक्स को लेकर लोंगेवाला पोस्ट पर पहुंच चुके थे इस इन्फेंट्री को कमांड करने वाले कोई और नहीं बल्कि करनाल बाबा गुरबचन सिंह थे इसके अलावा 17थ बटालियन राजपूताना राइफल्स भी लोंगेवाला पोस्ट पर पहुंच गए थे
अब पाकिस्तानियों के छुड़ाने के लिए भारतीय सैनिक अपने टैंक्स को लेकर तैयार बैठे थे सुबह के 9:00 बजे एक बार फिर से पाकिस्तान सेना की दो कंपनी ने लोंगेवाला पोस्ट पर हमला करने की तैयारी कर ही रहे थे की पाकिस्तान मिलिट्री ब्रिगेडियर तारीख मीर ने हमले को कैंसिल करके पाकिस्तान सैनिकों को अलग-अलग बिखर जान का आदेश दिया दोपहर के आसपास पाकिस्तान से की 22 कैलोरीज और 38 बलोच कुछ दूर वापस गए जहां पहले से 51 इन्फेंट्री ब्रिगेड मौजूद थे लेकिन इस दौरान भी हंटर्स ने दुश्मन पर हमला करना बेहतर नहीं समझा
पाकिस्तान सैनिक हंटर्स के आते ही दुपक जाते और फिर से हमले की तैयारी करने लगता ऐसे में इंडियन हंटर्स पूरे दिन पाकिस्तान सैनिकों को खदेड़ते रहे कुछ ही देर बाद भारतीय सेना ने बढ़त हासिल करने के लिए पाकिस्तान सेना के ऊपर 20th लांसर और 17th बटालियन ऑफ राजपूताना राइफल्स ने अपना जवाबी हमला शुरू कर दिया फिफ्थ दिसंबर के दोपहर तक पाकिस्तान सैनिकों को पीछे हटे के लिए मजबूर होना पड़ गया
पाकिस्तान के 36 टैंक्स पुरी तरह तबाह हो चुके थे जिसमें से 22 टैंक्स हंटर्स के अटैक से और 12 टैंक्स ग्राउंड एंटी टैंक वायर से डिस्ट्रॉय कर दिए गए थे और दो टैंक्स को कैप्चर कर लिया गया था 100 से ज्यादा व्हीकल को डिस्ट्रॉय कर दिया जाता है 120 पाकिस्तान सैनिक मारे जा चुके थे भारी तबाही के बाद भी पाकिस्तान हेड क्वार्टर इस बात को माने के लिए तैयार नहीं थे की इतनी बड़ी संख्या में सैनिक कैसे आगे नहीं बढ़ पा रहे थे
अब पाकिस्तान बटालियन को लीड कर रहे तारीख मीर को ऑर्डर दिया गया की वह जैसलमेर और रामगढ़ जान का प्लेन कैंसिल करके पहले लोंगेवाला पोस्ट को कैप्चर कर ले वापस हैडक्वाटर को बताया की हमारी सेना लोंगेवाला तक पहुंचने के लिए भी काफी नहीं है इसलिए आगे बढ़ाना बहुत मुश्किल काम है इसी रात
पाकिस्तान की और से पाकिस्तान पंजाब की दो और बटालियन लोंगेवाला बैटलफील्ड पर भेजें गए रात में ही एक बार फिर पाकिस्तान की सेना ने युद्ध का प्लेन तैयार कर लिया 6 दिसंबर 1971 की सुबह तीन बजे तारीख मीर को ऑर्डर दिया गया की वह 22 केवलारी की स्क्वाड्रन को फायर सपोर्ट दे
लेकिन तारीख मीर मामले को समझ चुका था उसने आगे बढ़ाने से साफ इनकार कर दिया और उन्होंने अपने 51 ब्रिगेड की सेना को वापस ले जान का मन बना लिया था 6 दिसंबर को लगभग दोपहर में एक बार फिर से हैडक्वाटर ने पाकिस्तान की पुरी बटालियन को वापस लौटने वाला से जैसलमेर की और आगे बढ़ाने का आदेश दिया
लेकिन शाम होते होते हैडक्वाटर को भी रिलाइज हो गया था की इस वार में पाकिस्तान पुरी तरीके से अपना कंट्रोल खो चुका है इसलिए मजबूर होकर हेड क्वार्टर ने अपने लास्ट ऑर्डर में पुरी सेना को वापस बुला लिया 7th दिसंबर से 11th दिसंबर के बीच पाकिस्तान सेना धीरे-धीरे करके बॉर्डर की तरफ बढ़ रही थी लेकिन इस बीच भी इंडियन एयरफोर्स का कहर थम नहीं रहा था
जहां भी पाकिस्तान सेना या टैंकर्स दिखते एयरफोर्स के हंटर्स अपना अटैक शुरू कर देते और इस तरह पाकिस्तान बुरी तरह हर गया था इस लड़ाई में पाकिस्तान के 36 टैंक्स भारतीय सेना ने तबाह कर दिए थे 200 से ज्यादा पाकिस्तान सैनिक मारे गए थे
दरअसल पाकिस्तान की ये हार सिर्फ उनकी मिलिट्री की हार नहीं थी बल्कि पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी की भी हार थी जिसने ये अंदाज़ा लगाया था की लोंगेवाला पोस्ट पर भारत किसी भी तरह से एयरस्ट्राइक नहीं कर सकता है इन तीन दोनों में लौंगवाला का मैदान धड़क उठा था चारों तरफ बस दुआ दिखाई दे रहा था भारतीय जवानों के आगे पाकिस्तान सेना समझ नहीं पा रही थी की क्या हो रहा है
बिलबिला उठी पाकिस्तान सैनिक इधर-उधर भाग रहे थे ऐसा लगता था मानो वो इंडियन एयरफोर्स से अपनी जान की भीख मांग रहे हो लोंगेवाला युद्ध के दौरान जैसलमेर स्टेशन कमांडर और मार्शल एस बाबा बताते हैं 1971 के इंडो पाकिस्तान वार की सबसे बड़ी लड़ाई लंगेवाला में हुई थी क्योंकि पाकिस्तान ने इतनी तैयारी के साथ भी अटैक नहीं किया था लेकिन 10 गुना से ज्यादा संख्या में होने के बाद भी पाकिस्तान की सेना कर दिसंबर से 7 दिसंबर तक चली लड़ाई में आगे नहीं बाढ़ पाया
भारत के जांबाज ने दुश्मन को चेकपोस्ट के आगे एक कदम भी नहीं बढ़ाने दिया था उल्टा बॉर्डर के बाहर धकेल आए थे ये सब पॉसिबल हुआ था मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के बहादुर भारी लीडरशिप से जिनके एक फैसला से राजस्थान के जैसलमेर जैसे इलाके को खतरे से बचा लिया था बाद में भारत सरकार द्वारा मेजर कुलदीप सिंह के साहसी फैसला के लिए महावीर चक्र से नवाज गया
भारत के इस जीत के बाद ब्रिटेन के फील्ड मार्शल आम कारवार ने लौंडेवाला का दौरा किया था और मेजर चांदपुरी से इस बड़े में जानकारी ली थी की आखिर कैसे 120 सैनिकों ने 3000 पाकिस्तानियों के दांत खट्टे कर दिए थे 1997 में इसी घटना का लोंगेवाला वार पर बॉलीवुड की फेमस मूवी बॉर्डर आई थी जिसमें सनी देओल ने मेजर कुलदीप सिंह का रोल निभाया था.